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लेखनी प्रतियोगिता -02-Apr-2023 मेरा प्यार ही मेरी अनमोल दौलत



                        मेरा प्यार ही मेरी अनमोल दौलत

               रोहन स्टेशन से बाहर आया  और अपनी मंजिल पर जाने के लिए कोई टैक्सी देखने लगा। उसे आस पास कोई टेक्सी नजर नही आरही थी। ऊपरसे गर्मी कहर बरसा रही थी दूसरे उसे कोई भी टैक्सी नहीं दिखाई  पड़ रही थी।

      उसी समय एक टेक्सी देखकर उसकी जान में जान आई। टैक्सी उसके पास आकर रुकी। रोहन ने अपना गन्तब्य स्थान बताकर टैक्सी का गेट खोला और अन्दर बैठ गया।

     रोहन को मालूम था उसे जहाँ जाना है वहाँ तक  पहुँचने में कम से कम एक घन्टा तो लगेगा ही। बैसे भी सड़कें बहुत खराब है  इससे समय बढ़ ही सकता  है। इस लिए वह इत्मीनान से अपना लेपटौप खोलकर बैठ गया।

        टैक्सी चलने के कारण नैट सही नही चलरहा था क्यौकि नैटवर्क अप डाउन होरहा था।  रोहन नेआखिर में लैपटौप को स्विच आफ करदिया। रोहन की नजर जैसेही मिरर पर गयी तब उसे ड्राईबर का चेहरा जाना पहचाना सा लगा।

      रोहन उस ड्राईबर के बारे में सोचने लगा कि यह कौन है। और यह यहाँ टैक्सी क्यौ चला रहा है? लेकिन रोहन को उसका नाम याद नहीं आरहा था।

      अन्त में रोहन ने उस ड्राईबर से ही पूछा," भैया आप टैक्सी कब से चलारहे हो ?"

     ड्राईबर बोला, "  सर ! लगभग तीन साल से ?"

    " इससे पहले क्या करते थे ? " 

    " सर इससे पहले एक कम्पनी में चीफ एकाउन्टेन्ट था।" ड्राईबर बोला।

     " वह नौकरी क्यौ छोड़दी?" रोहन ने पूछा । अब उसे  भरोसा होगया था गि वह सुबोध ही है जो उसका बौस था।

      "सर इसकी लम्बी कहानी है ?   मेरी नौकरी में सब  कुछ अच्छा चल रहा था कि अचानक मेरी पत्नी की तबियत खराब रहने लगी। उसे डाक्टर को दिखाने के लिए बार बार आफिस से छुट्टी लेनी पड़ती थी। जिससे बाॅस नाराज होता था अन्त में मुझे वह नौकरी छोड़नी पडी़ ।मेरे मम्मी पापा ने पत्नी को उसके मायके छोड़ने को कहा था।"

         "लेकिन आप ही बताओ मै ऐसा कैसे कर सकता था। मेरी पत्नी मेरी जिम्मेदारी थी। वह मेरा प्यार थी मैने लव मैरिज जो की थी मै उसे दूसरौ पर कैसे छोड़ सकता था। नौकरी छूटने के बाद मेरे ऊपर कर्जा होगया।" 

      "इसके बाद तुमने क्या किया?"

               "  करना क्या था कर्जा उतारने के लिए टैक्सी पर ड्राइबरी करने लगा। पत्नी की तबियत में भी सुधार होने लगा। इसके बाद मैने बैंक से कर्जा लेकर अपनी टैक्सी खरीद ली।  आज फिरसे मेरी गृहस्थी की गाडी़ लाइन पर चल रही है। जीवन में उतार चढा़व तो आते ही रहते है।" उसने जबाब दिया।

          "दोस्त तुम्हारी कहानी सुनकर बहुत अच्छा लगा। जीवन में उतार चढा़व तो आते ही रहते है यह भी सच है। तुमने मुझे नही पहचाना मै रोहन हूँ। उस कम्पनी का नाम जे के ऐन्टरप्राइजेज था। अब तो याद आगया होगा ? " रोहन ने उसे याद दिलाते हुए कहा।

        "हाँ सब याद आगया आपने तो मेरी बहुत सहायता की थी। आजकल आप कहाँ पर हो? ",सुबोध  बोला।

         "मै उसी कम्पनी का मालिक हूँ क्यौकि मेरे मालिक ने उसे बेचना चाहा था उसे मैने लेलिया था। तुमने बहुत कुछ खोया  ?" रोहन बोला।

                   " सर ...मैने सब कुछ खोया लेकिन मेरा "प्यार" आज भी मेरे पास है." सुबोध ने छोटासा जबाब दिया।

                 प्यार शब्द का इस्तेमाल हम अपने जीवन में बहुत बार करतें हैं लेकिन प्यार कैसे निभाया जाता है उस टैक्सी वाले ने समझा दिया था.।

             टैक्सी अपनी मंजिल तक पहुंच चुकी थी।

       रोहन की आंखें भीगी हुई थी और वह लगभग नतमस्तक सा सुबोध  के कंधे पर हाथ रखकर बोला ., "आजतक में अपने आपको लोगों के लिए आइडल मानता था मगर मेरे दोस्त असली आइडल तो तुम हो दुनिया के लिए । खुशनसीब होते हैं वो लोग जिनके पास ये अनमोल दौलत होती है सच्चे प्यार और सच्चे समर्पण के साथ की आल द बेस्ट मांग फ्रेंड गाड़ बलेस यूं कहकर भीगी हुई पलकों को साफ करते हुए अपनी मंजिल की और बढ़ गया वहीं सुबोध मुस्कुरा रहा था।

          सुबोध ने अपने प्यार के लिए अपनी नौकरी दाव पर लगादी। उसने प्यार व नौकरी में प्यार को सबसे ऊपर रखा। इस तरह सुबोध का प्यार के लिए किया हुआ बलिदान खुशियौ की सौगात लेकर आया।

आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना 

नरेश शर्मा " पचोरी "

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11 Comments

Rajesh rajesh

05-Apr-2023 12:31 AM

बेहतरीन

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shweta soni

03-Apr-2023 10:56 PM

Behtreen 👌

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